अदनसोनिया वृक्षों की आठ प्रजातियों का एक वंश (जीनस) है, जिनमें से, छह मेडागास्कर, एक अफ्रीका की मुख्य भूमि और अरब प्रायद्वीप तथा एक ऑस्ट्रेलिया की मूल प्रजाति है। अफ्रीकी मुख्य भूमि की प्रजाति के वृक्ष मेडागास्कर में भी पाये जाते हैं, लेकिन यह इस द्वीप की मूल प्रजाति नहीं है।
इसे आम तौर पर गोरक्षी (हिन्दी नाम) या बाओबाब के नाम से जाना जाता है। इसके अन्य आम नामों में बोआब, बोआबोआ, बोतल वृक्ष, उल्टा पेड़ तथा बंदर रोटी पेड़ आदि नाम शामिल हैं। अरबी में इसे 'बु-हिबाब' कहा जाता है जिसका अर्थ है 'कई बीजों वाला पेड़', शायद इसी बु-हिबाब शब्द का अपभ्रंश रूप है बाओबाब। बाओबाब का अफ्रीका के आर्थिक विकास में काफ़ी योगदान होने की वजह से अफ्रीका ने इसे 'द वर्ल्ड ट्री' की उपाधि भी प्रदान की है और इसे एक संरक्षित वृक्ष भी घोषित किया है। इसका अनुवांशिक नाम मिशेल एडनसन, जो कि एक फ्रांसीसी प्रकृतिवादी और अन्वेषक थे और जिन्होने पहले पहल इस वृक्ष का वर्णन किया था, के सम्मान में अदनसोनिया डिजिटाटा रखा गया है।
बाओबाब वृक्ष की सबसे पहली पहचान है इस का उल्टा दिखना यानि इस को देखने पर आभास होता है कि मानों पेड़ की जड़े ऊपर और तना नीचे हो। बाओबाब के इस रूप के बारे में किंवदंती है कि पहले यह पेड़ सीधा था परन्तु फलते फूलते समय इसने दूसरे पौधों और पेड़ों को मिलने वाली हवा और सूर्य प्रकाश को ही रोक दिया। इसकी इस हरकत पर परमात्मा को गुस्सा आया और उन्होने इस पेड़ को जड़ से उखाड़ कर उल्टा लगा दिया, बाओबाब के बहुत मिन्न्तें करने पर भगवान ने इस पेड़ को एक छूट दी कि साल के ६ महीने इस पर पत्ते लग सकते हैं बाकी के समय में यह पेड़ एक ठूंठ की भाँति दिखेगा। यह तो मात्र एक किंवदंती है परन्तु आज भी इस पेड़ पर पत्ते साल में सिर्फ़ ६ महीने के लिये ही लगते हैं, बाकी समय में यह एक दम सूखा दिखता है।
बाओबाब के वृक्ष 5 से 30 मीटर की ऊँचाई तक पहुँच सकते हैं जबकि इसके तने का व्यास 7 से 11 मीटर तक हो सकता है। यह एक पर्णपाती कृक्ष है इस पेड़ पर पत्ते साल में सिर्फ़ ६ महीने के लिये ही लगते हैं, जबकि शुष्क मौसम में इसके पत्ते झड़ जाते हैं और उस समय यह एक दम सूखा दिखता है। इस पेड़ के तने में हजारों लीटर (१,२०,००० लीटर तक) शुद्ध पानी भरा रहता है और यह पानी वर्षा के अभाव वाले महीनों में पीने के काम आता है। इस वृक्ष की आयु बहुत लम्बी होती है। इस वृक्ष की लकड़ी में वृद्धि वलयों का अभाव होता है इसलिए इसकी आयु निर्धारण के लिए कार्बन काल निर्धारण पद्धति की मदद ली जाती है। बाओबाब के कुछ वृक्षों की आयु ६००० वर्ष तक पाई गयी गई है।
भारत में यह पेड़ किस तरह पहुँचे इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता। सूरत शहर के कतारगाम में अनाथाश्रम के सामने दो पेड़ और सरथाणा चुंगी नाका के सामने बने चिड़ियाघर में भालू के पिंजरे के पास एक पेड़ हजारों वर्षों से खड़ा है। गुजराती में इसे गोरख आंबली (गुजराती: ગોરખ આંબલી) (ईमली) कहा जाता है।
Adansonia digitata leaf
Adansonia digitata flower
Adansonia digitata hanging fruit
Adansonia rubrostipa, inside the fruit
Adansonia digitata seeds from the fruit
Elements of the fruit pulp of Adansonia digitata: (clockwise from top right) whole fruit pulp chunks, fibers, seeds, powder from the pulp
अदनसोनिया वृक्षों की आठ प्रजातियों का एक वंश (जीनस) है, जिनमें से, छह मेडागास्कर, एक अफ्रीका की मुख्य भूमि और अरब प्रायद्वीप तथा एक ऑस्ट्रेलिया की मूल प्रजाति है। अफ्रीकी मुख्य भूमि की प्रजाति के वृक्ष मेडागास्कर में भी पाये जाते हैं, लेकिन यह इस द्वीप की मूल प्रजाति नहीं है।
इसे आम तौर पर गोरक्षी (हिन्दी नाम) या बाओबाब के नाम से जाना जाता है। इसके अन्य आम नामों में बोआब, बोआबोआ, बोतल वृक्ष, उल्टा पेड़ तथा बंदर रोटी पेड़ आदि नाम शामिल हैं। अरबी में इसे 'बु-हिबाब' कहा जाता है जिसका अर्थ है 'कई बीजों वाला पेड़', शायद इसी बु-हिबाब शब्द का अपभ्रंश रूप है बाओबाब। बाओबाब का अफ्रीका के आर्थिक विकास में काफ़ी योगदान होने की वजह से अफ्रीका ने इसे 'द वर्ल्ड ट्री' की उपाधि भी प्रदान की है और इसे एक संरक्षित वृक्ष भी घोषित किया है। इसका अनुवांशिक नाम मिशेल एडनसन, जो कि एक फ्रांसीसी प्रकृतिवादी और अन्वेषक थे और जिन्होने पहले पहल इस वृक्ष का वर्णन किया था, के सम्मान में अदनसोनिया डिजिटाटा रखा गया है।