लौआ[2][3] (Jungle Bush Quail) (Perdicula asiatica) बटेर परिवार का एक पक्षी है जो भारत और श्रीलंका में पाया जाता है और अब नेपाल से विलुप्त हो गया है।[1] इसके आहार में अधिकतर घास के बीज होते हैं लेकिन इसे कीड़े-मकोड़ों से भी कोई परहेज़ नहीं है। नर और मादा में फ़र्क यह है कि जहाँ नर का अगला भाग सफ़ेद और काली धारियों से भरा होता है वहीं मादा का अग्र भाग लाली लिए हुए होता है। यह समुद्र सतह से चार से पाँच हज़ार फ़ुट की ऊँचाई तक घने जंगलों में, पर्वतीय इलाकों में, ऊबड़-खाबड़ मैदानों में, ऊसर ज़मीन में और ऐसे खेतों में जहाँ ज़्यादा पानी न हो, में पाया जाता है।[4] इसकी लंबाई लगभग १६ से १८ से.मी. होती है और वज़न लगभग ५७ से ८१ ग्राम होता है।[5] लौआ मादा अपना घोंसला ज़मीन पर ही बनाती है और एक बार में ४ से ७ अण्डे दे सकती है लेकिन औसतन ५ से ६ अण्डे ही देखने को मिलते हैं।[6]
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की उपेक्षा की गयी (मदद) लौआ (Jungle Bush Quail) (Perdicula asiatica) बटेर परिवार का एक पक्षी है जो भारत और श्रीलंका में पाया जाता है और अब नेपाल से विलुप्त हो गया है। इसके आहार में अधिकतर घास के बीज होते हैं लेकिन इसे कीड़े-मकोड़ों से भी कोई परहेज़ नहीं है। नर और मादा में फ़र्क यह है कि जहाँ नर का अगला भाग सफ़ेद और काली धारियों से भरा होता है वहीं मादा का अग्र भाग लाली लिए हुए होता है। यह समुद्र सतह से चार से पाँच हज़ार फ़ुट की ऊँचाई तक घने जंगलों में, पर्वतीय इलाकों में, ऊबड़-खाबड़ मैदानों में, ऊसर ज़मीन में और ऐसे खेतों में जहाँ ज़्यादा पानी न हो, में पाया जाता है। इसकी लंबाई लगभग १६ से १८ से.मी. होती है और वज़न लगभग ५७ से ८१ ग्राम होता है। लौआ मादा अपना घोंसला ज़मीन पर ही बनाती है और एक बार में ४ से ७ अण्डे दे सकती है लेकिन औसतन ५ से ६ अण्डे ही देखने को मिलते हैं।