dcsimg

मसूरिका ( Hindi )

provided by wikipedia emerging languages
 src=
मसूरिका विषाणु

मसूरिका (Measles) और जर्मन मसूरिका (German measles), रोमांतिका या खसरा, एक वाइरस (virus) का एवं अत्यंत संक्रामक रोग है, जिसमें सर्दी, जुकाम, बुखार, शरीर पर दाने एवं मुँह के भीतर सफेद दाने हो जाते हैं तथा फेफड़े की गंभीर बीमारियों की आशंका रहती है। अंग्रेजी में इसे मॉरबिली (Morbilli) तथ रूबियोला (Rubeola) कहते हैं।

संपूर्ण विश्व में व्याप्त यह रोग बच्चों को अधिक होता है। यह चार पाँच मास तक के बच्चों को साधारणतया नहीं होता तथा चार पाँच वर्ष तक के बच्चों को अधिक होता है। गर्भवती नारी में यह रोग गर्भपात का कारण बन सकता है। इसका प्रकोप प्रत्येक दो या चार वर्ष पर होता है।

कारण

यह रोग एक अत्यंत सूक्ष्म विषाणु द्वारा होता है, जो नाक, आँख तथा गले के स्राव में मिलते हैं। दाने निकलने के पूर्व रोगी सर्वाधिक संक्रामक होता है।

लक्षण तथा चिह्न

इस रोग का उद्भवन काल चौदह दिन होता है। सर्वप्रथम सर्दी, ज़ुकाम, खाँसी, ज्वर तथा मुँह के भीतर सफेद दाने प्रकट होते हैं। ये पिछले दाँतों के पास कपोल की भीतरी श्लेष्म कला पर, त्वचा पर दाने प्रकट होने के ७२ घंटे पूर्व, दृष्टिगोचर होते हैं। नेत्र रक्ताभ हो जाते हैं तथा नासिका एवं नेत्रों से स्राव होता है। ज्वर दूसरे दिन कुछ कम हो जाता है, किंतु तीसरे दिन से पुन: बढ़ना प्रारंभ हो जाता है। चौथे दिन त्वचा पर दाने प्रकट हो जाते हैं। ये दाने सर्वप्रथम बालों की रेखा के पास, कानों के पीछे, ग्रीवा पर तथा मस्तक पर दृष्टिगोचर होते हैं। इसके बाद ये नीचे की ओर बढ़ते हैं तथा शनै: शनै: संपूर्ण शरीर को आच्छादित कर लेते हैं। दाने अत्यंत सूक्ष्म एवं रक्ताभ होते हैं, जो आपस में मिलकर एक हो जाते हैं तथा शरीर को रक्तवर्ण प्रदान करते हैं। रोगी को खुजली तथा जलन की अनुभूति होती है। ये दाने चार से सात दिनों तक रहते हैं, फिर धीरे धीरे लुप्त हो जाते हैं। अब त्वचा की एक झिल्ली सी संपूर्ण शरीर से अलग हो जाती है। ज्वर तथा अन्य लक्षण भी इसके साथ ही समाप्त हो जाते हैं।

अन्य रूप

काली (haemorthagic) मसूरिका

इस में अत्यधिक ज्वर, सदमें के चिह्न तथा रक्तरंजित दाने मिलते हैं। नाक, आँख और त्वचा से रक्तस्राव होता है तथा रोग प्राय: घातक होता है।

विषाक्त मसूरिका

इसके दाने अधिक न होने पर भी तीव्र ज्वर, कंपन, साँस, फूलना, संज्ञाहीनता और नाड़ी की क्षीणता होती है।

फुफ्फुसीय मसूरिका

इसमें श्वास की गति अत्यंत तीव्र हो जाती है, रोगी नीला पड़ जाता है तथा बेहोशी अथवा मृत्यु हो सकती है।

जटिलताएँ

ग्रसनी शोथ, कंठ शोथ, श्वासनली शोथ, फुफ्फुसीय शोथ, कर्ण शोथ, पलक शोथ, मुखशोथ, लसिकाग्रंथि शोथ, मस्तिष्क शोथ, अतिसार आदि रोग हो सकते हैं। पुराना क्षय रोग पुन: उभड़ सकता है।

निदान

चेचक, जर्मन मसूरिका और छोटी माता से इस रोग में कई अंतर हैं।

फलानुमान -- साधारणतया मसूरिका घातक नहीं होती, किंतु इसके घातक रूप या जटिलताओं के कारण मृत्यु हो सकती है।

चिकित्सा

रोगी को अलग रखा जाए। रोग ठीक होने पर रोगी के रक्त से सीरम निकालकर इंजेक्शन देने से, दूसरे बच्चों में प्रतिशोधक शक्ति उत्पन्न की जा सकती है।

इस रोग की कोई विशेष रोगहर चिकित्सा ज्ञात नहीं है। केवल रोगी को आराम देना, सफाई रखना, द्रव खाद्य पदार्थ देना तथा जटिलताओं की चिकित्सा करना आवश्यक है।

जर्मन मसूरिका

इन्हें भी देखें

license
cc-by-sa-3.0
copyright
विकिपीडिया के लेखक और संपादक

मसूरिका: Brief Summary ( Hindi )

provided by wikipedia emerging languages
 src= मसूरिका विषाणु

मसूरिका (Measles) और जर्मन मसूरिका (German measles), रोमांतिका या खसरा, एक वाइरस (virus) का एवं अत्यंत संक्रामक रोग है, जिसमें सर्दी, जुकाम, बुखार, शरीर पर दाने एवं मुँह के भीतर सफेद दाने हो जाते हैं तथा फेफड़े की गंभीर बीमारियों की आशंका रहती है। अंग्रेजी में इसे मॉरबिली (Morbilli) तथ रूबियोला (Rubeola) कहते हैं।

संपूर्ण विश्व में व्याप्त यह रोग बच्चों को अधिक होता है। यह चार पाँच मास तक के बच्चों को साधारणतया नहीं होता तथा चार पाँच वर्ष तक के बच्चों को अधिक होता है। गर्भवती नारी में यह रोग गर्भपात का कारण बन सकता है। इसका प्रकोप प्रत्येक दो या चार वर्ष पर होता है।

license
cc-by-sa-3.0
copyright
विकिपीडिया के लेखक और संपादक